नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अनुभव को भरोसा जताते हुए बृहस्पतिवार को उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया.
इसके साथ ही देवेंद्र यादव, हारून यूसुफ और राजेश लिलोठिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. कांग्रेस के दिल्ली मामलों के प्रभारी पीसी चाको ने बृहस्पतिवार को यह घोषणा की.
चाको ने कहा, ‘राहुल गांधी ने शीला दीक्षित को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है. देवेंद्र यादव, हारून यूसुफ और राजेश लिलोठिया को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.’
पहले से ही अध्यक्ष के तौर पर जहां शीला दीक्षित का नाम सबसे आगे बताया जा रहा था. वहीं पूर्व पीसीसी अध्यक्ष जेपी अग्रवाल, राजेश लिलोठिया, योगानंद शास्त्री व देवेंद्र यादव का नाम भी चर्चा में था.
शीला दीक्षित पहले भी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुकी हैं. वह 1984 से 1989 तक कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं. शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक (लगातार 15 साल) दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं.
लिलोठिया पूर्व विधायक हैं और फिलहाल राष्ट्रीय सचिव एवं बिहार के लिए सह-प्रभारी की भूमिका में हैं. पूर्व विधायक देवेंद्र यादव भी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और राजस्थान के लिए सह-प्रभारी हैं.
हारुन यूसुफ दिल्ली में मंत्री रह चुके हैं और शीला के करीबी माने जाते हैं. अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद हाल ही में अजय माकन ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था.
माकन ने शीला को बधाई देते हुए कहा, ‘शीला दीक्षित जी को पुन: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर बधाई व शुभकामनाएं.’
उन्होंने कहा, ‘उनके आधीन, मुझे संसदीय सचिव एवं कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करके सीखने का सुअवसर मिला था. मुझे विश्वास है कि शीला जी की अगुआई में हम, मोदी और केजरीवाल की सरकारों के विरोध में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएंगे.’
ऐसा माना जा रहा था कि दिल्ली कांग्रेस खेमेबाज़ी से झूझ रही थी और पार्टी को लगा कि इस अंतर्विरोध को रोकने के काम सिर्फ दीक्षित कर सकती हैं. इस लिहाज से उन्हें प्रदेश की कमान सौंपी गई.
ज्ञात हो कि दीक्षित 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थी. 2013 विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें केरल का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था.
2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने दीक्षित को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था, लेकिन समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बाद उनकी उम्मीदवारी ख़त्म कर दी गई थी.