रायपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोगों को मास्क पहनने की हिदायत दी जा रही है, लेकिन दिव्यांग (मूक-बधिर) के लिए मास्क परेशानी बन गया है। मास्क लगाने के बाद न तो वे किसी को अपनी बातें समझा पा रहे और ना ही समझ पा रहे है। विशेषज्ञों की मानें तो मूक-बधिरों के लिए लिप रीडिंग ही एक मात्र संवाद का माध्यम होता है। जो हियरिंग मशीन का उपयोग नहीं करते, उनके लिए मास्क ने संवाद में बड़ी बाधा खड़ी की है।
ऐसे बच्चों को बातचीत में आ रही दिक्कत
छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित मठपुरैना शासकीय स्कूल में मूक-बधिर छात्रों को पढ़ा रहे शिक्षक तोकेश्वर सिन्हा कहते हैं कि इस बात को मैं देख और महसूस कर रहा हूं। कोरोना वायरस के कारण ऑनलाइन क्लासेस चल रही है। लेकिन जब मूक-बधिर घर से बाहर निकलते हैं, तो मास्क का उपयोग करने पर उन्हें लोगों से बातचीत करने के समय दिक्कतें आ रही हैं।
पारदर्शी मास्क लगाने के बारे में पता लगा
सार्वजनिक स्थलों पर परेशानी अधिक राजधानी के अनुपम गार्डन के पास चाय ठेले की दुकान लगाने वाले मूक-बधिर सूरज चौहान परिवार चलाने के लिए मास्क तो लगा रहे हैं, लेकिन ग्राहकों से बातचीत करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। जिसे दूर करने के लिए उन्होंने शहर के प्रमुख बाजारों में पारदर्शी मास्क के बारे में भी पता किया। लेकिन अभी उस तरह का मास्क बाजार में नहीं आया है।
लिप रीडिंग में समस्या बना मास्क
रायपुर के मठपुरैना मूक-बधिर शासकीय स्कूल के शिक्षक तोकेश्वर सिन्हा ने बताया कि लिप रीडिंग करने वाले मूक-बधिर छात्रों के लिए मास्क बड़ी समस्या बनी है। समस्या से निजात पाने के लिए बाजार में पारदर्शी मास्क मिल नहीं रहा है।
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