कबीरधाम की चिल्फी घाटी में राहगीरों द्वारा भोजन देने से बंदरों की तबियत बिगड़ने की संभावना
कवर्धा | 11 जून 2020। वन मंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देशानुसार वन विभाग द्वारा लोगों से अपील की गई है कि बंदरों सहित किसी भी वन्य प्राणियों को राहगीरों द्वारा खाद्य सामग्री नहीं दी जाए। इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) अतुल शुक्ल ने बताया कि वन्य प्राणियों को राहगीरों द्वारा खाद्य सामग्री अथवा भोजन देने पर वन्य प्राणी की जहां तबियत बिगड़ने की संभावना होती वहीं अन्य हिंसक घटनाओं के होने की आशंका भी बनी रहती है। छत्तीसगढ़ के जंगलों में वनोपजों की अकूत सम्पदा है तथा वन्य जीव हर मौसम व परिस्थितियों में अपने भोजन की व्यवस्था स्वयं करने में सक्षम होते हैं।
कवर्धा वनमण्डलाधिकारी दिलराज प्रभाकर ने बताया कि पिछले कई सालों से चिल्फी घाटी में रहने वाले बंदर दोपहर के आसपास अपना समय व्यतीत करने के लिए सड़कों के किनारे आकर बैठ जाते हैं, जिन्हें घाटी से आने-जाने वाले लोग प्रतिदिन कुछ न कुछ भोजन अथवा खाद्य सामग्री देकर जाते हैं। मानव द्वारा दैनिक जीवन मे खाये जाने वाले खाने को बंदरों के द्वारा खाये जाने पर उनमे से कुछ बंदरों की तबियत बिगड़ने की संभावना बनी रहती है। इसे गंभीरता से लेते हुए कवर्धा वन मण्डल द्वारा घाटी के कई मोड़ों पर बंदरों को किसी प्रकार की खाद्य सामग्री न देने की अपील की जा रही है। उनके द्वारा बताया गया कि वनमंडल के जंगलों में भी कई तरह के वनोपज उपलब्ध हैं, जो वन्य प्राणियों के भोजन के लिए पर्याप्त है।
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