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कलेक्टरों की पॉकेट मनी बन गया था DMF – हो रही जांच

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नई सरकार के आने के बाद डीएमएफ (जिला खनिज निधि) कमेटियों को भंग किया गया है। अब इन कमेटियों की जांच की जा रही है। दरअसल डीएमएफ की राशि के उपयोग को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। राज्य के खनन प्रभावित इलाकों में लोगों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने की बजाय आरोप लग रहे थे कि इस राशि से शहरों में भौतिक विकास किया जा रहा है। आरोप तो यह भी लग रहा था कि डीएमएफ की राशि का उपयोग कलेक्टर मनमानी ढंग से कर रहे थे। कई जिलों में डीएमएफ कलेक्टरों की पॉकेट मनी बन गया था, यानी कलेक्टर के पास एक निधि ऐसी रही, जिसका उपयोग वे अपने मन मुताबिक जब चाहे कर रहे थे।

पिछले साल सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट ने रायपुर में एक कार्यशाला की थी, जिसमें राज्य के खनन प्रभावित इलाकों के प्रतिनिधि भी पहुंचे थे। इस कार्यशाला में यह तथ्य आया था कि डीएमएफ से प्रभावित इलाकों को तो कोई खास मदद मिली नहीं।

पुल, सड़क, भवन आदि का विकास किया गया। इससे डीएमएफ ट्रस्ट के निर्माण की मूल अवधारणा को कोई फायदा नहीं पहुंचा। अब नई सरकार ने सभी जिलों की डीएमएफ कमेटियों को भंग कर दिया है। मुख्यमंत्री के सचिव गौरव द्विवेदी ने कहा कि शिकायतों की जांच कराई जा रही है। गड़बड़ियां उजागर हुईं तो सरकार कार्रवाई भी करेगी।

ऐसे गठित की गईं हैं समितियां

जिला खनिज निधि के लिए तीन स्तरों पर समितियों का गठन किया गया है। शाषी परिषद में जिला अधिकारी, जिला पंचायतों के सीईओ, एसपी, डीएफओ, खनिज अधिकारी, पंचायत उपनिदेशक समेत अन्य विभागों के अधिकारी और तीन जनप्रतिनिधि और दो गावों के सरपंच शामिल हैं।

प्रबंध समितियों की संरचना भी इसी प्रकार की है। राज्य स्तरीय निगरानी समिति में मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, कृषि मंत्री, वन मंत्री, पंचायत मंत्री, पीएचई मंत्री, आदिवासी विकास मंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, प्रमुख सचिव और खनिज विभाग के सचिव शामिल हैं। अब जिला स्तर की समितियों की जांच की जा रही है।

अप्रैल 2018 तक मिले 2746 करोड़

डीएमएफ फंड से राज्य को अप्रैल 2018 तक कुल 2746 करोड़ की राशि प्राप्त हुई। इस फंड में से 3133 करोड़ विभिन्न् जिलों के लिए स्वीकृत किए गए। ज्यादातर पैसा अधोसंरचना विकास पर लगाया गया। शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, सामाजिक पूंजी निर्माण आदि पर जोर नहीं दिया गया।

शहरी क्षेत्रों में निर्माण किए गए। कोरबा में निवेश का 46 प्रतशत हिस्सा मल्टी लेवल पार्किंग, कन्वेंशन सेंटर, शहरी स्वच्छता मिशन आदि पर खर्च हुए। बिलासपुर में डीएमएफ निधि का उपयोग हवाई अड्डे के विकास में किया गया। मार्च 2018 तक कुल 1544 करोड़ खर्च किया गया।

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