दुग्ध उत्पादन और मछली पालन को बढ़ावा देने 3 विशिष्ट पॉलीटेक्निक कॉलेज भी खोले जाएंगे
स्वतंत्रता दिवस समारोह मे जनता के नाम संदेष
बेमेतरा | 15 अगस्त 2020 जिला मुख्यालय बेमेतरा के ऐतिहासिक बेसिक स्कूल मैदान मे संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने ध्वजारोहण कर तिरंगे को सलामी दी। इस अवसर पर उन्होने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का प्रदेश की जनता के नाम संदेश का वाचन किया। प्रदेश में ‘महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, 4 नए उद्यानिकी काॅलेज तथा एक खाद्य तकनीकी एवं प्रसंस्करण काॅलेज खुलेंगे। दुग्ध उत्पादन और मछली पालन को बढ़ावा देने 3 विशिष्ट पाॅलीटेक्निक काॅलेज भी खोले जाएंगे। राम वन गमन पर्यटन परिपथ के निर्माण के पावन कार्य में प्रदेश की जनता की सहभागिता के लिए ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकास कोष का गठन किया जाएगा। प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने राज्य में होने वाली नई नियुक्तियों तथा पदोन्नति के लिए गठित की जाने वाली समितियों में महिला प्रतिनिधि की उपस्थिति अनिवार्य की गई है।
लाॅकडाउन के कारण श्रमिकों के रहवास, भोजन, बच्चों के लिए दूध, दवा जैसी बहुत जरूरी सुविधाएं भी दूभर हो रही थीं, ऐसे समय में राज्य सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश की जनता तथा संस्थाओं ने अद्भुत कार्य किए। साढ़े 5 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी हुई। उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ घर पहुंचाने के लिए हर गांव में अर्थात् लगभग 22 हजार क्वारंटाइन सेंटर स्थापित किए गए।
इन श्रमवीरों को न सिर्फ मनरेगा के तहत रोजगार दिलाया गया बल्कि क्वारंटाइन सेंटर में ही इनके ‘स्किल मैपिंग’ की व्यवस्था की गई ताकि इन्हें प्रदेश में सम्मानजनक रोजगार दिलाया जा सके। वहीं लाॅकडाउन की अवधि में लगभग 74 हजार मजदूरों को वेतन की बकाया राशि 171 करोड़ रू. का भी भुगतान कराया गया। 107 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से न सिर्फ हमारे प्रदेश के मजदूर वापस लाए गए बल्कि अन्य प्रदेशों के मजदूरों को उनके राज्यों में भेजने की भी व्यवस्था की गई।
आंगनवाड़ी तथा मध्याह्न भोजन योजना के हितग्राहियों को मिलने वाली पोषण सामग्री में कोई बाधा न आए, इसके लिए घर पहुंच सेवा दी जा रही है। इस तरह ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ भली-भांति जारी रहा, जिससे कुपोषण में 13 प्रतिशत कमी आयी है।
किसानों, आदिवासियों और वन निवासियों की जेब में हमने 70 हजार करोड़ रू. की राशि डाली। निम्न तथा मध्यम आय वर्ग के लोगों को हजारों करोड़ रू. की रियायत और राहत दी गई। इससे छत्तीसगढ़ की आम जनता की क्रय शक्ति जागी जिसने उद्योग और व्यापार जगत को सहारा दिया।
प्रदेश के हर विकासखण्ड में फूडपार्क स्थापित करने का लक्ष्य पूरा करने हेतु हमने 28 जिलों में 101 विकासखण्डों में भूमि का चिन्हांकन कर लिया है। 19 विकासखण्डों में 250 हेक्टेयर सरकारी भूमि का हस्तांतरण किया जा चुका है। रायपुर में ‘जेम्स एण्ड ज्वेलरी पार्क’ की स्थापना हेतु 350 करोड़ रू. की परियोजना पर कार्य शुरू हो चुका है। वहीं बिजली के उपभोग से रोजगार और खुशहाली में वृद्धि का रास्ता अपनाया है। इसके लिए पारेषण-वितरण तंत्र को मजबूत करने के लिए ‘मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना’ प्रारंभ की जा रही है।
सड़क अधोसंरचना के गुणवत्तापूर्ण विकास हेतु सभी शासकीय भवनों और सार्वजनिक सुविधाओं को पक्की सड़कों से जोड़ने के लिए ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’ शुरू की गई है। लाॅकडाउन के कारण प्रभावित शिक्षा को निरंतर जारी रखने के लिए हमने आॅनलाइन शिक्षा की योजना ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ शुरू की थी जिसका लाभ 22 लाख बच्चों को मिल रहा है तथा 2 लाख शिक्षक-शिक्षिकाएं इस व्यवस्था से जुड़े हैं। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए अब हम गांवों में समुदाय की सहायता से बच्चों को पढ़ाने के लिए ‘पढ़ई तुंहर पारा’ योजना शुरू कर रहे हैं। इंटरनेट के अभाव वाले अंचलों के लिए ‘ब्ल्यू टूथ’ आधारित व्यवस्था ‘बूल्टू के बोल’ का उपयोग किया जाएगा।
स्वास्थ्य अधोसंरचना के विकास के लिए एक ओर जहां 37 स्वास्थ्य केन्द्रों के भवनों का निर्माण किया जा रहा है वहीं कोरोना के उपचार हेतु 30 अस्पताल, 3 हजार 383 बिस्तर, 517 आईसीयू बिस्तर, 479 वेन्टिलेटर उपलब्ध कराए गए हैं। जिलों में 155 आइसोलेशन सेंटर विकसित किए गए, जहां लगभग 10 हजार बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध है। टेस्टिंग सुविधा जो अभी 6 हजार 500 प्रतिदिन पहुंची है, उसे 10 हजार प्रतिदिन करने का लक्ष्य है। वर्तमान में 1 हजार 900 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं, जिसे आगामी वर्ष तक 3 हजार 100 किए जाने का लक्ष्य है।
हमने 26 जनवरी 2020 को ‘डाॅ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’ शुरू की थी, जिसके तहत मात्र सात महीनों में 256 करोड़ रू. व्यय कर 2 लाख से अधिक मरीजों का उपचार किया गया। संस्कृति और परंपरागत रोजगार की संवाहक, हमारी ‘पौनी पसारी योजना’ के तहत 122 स्थानों पर बाजारों का निर्माण किया जा रहा है। पट्टों को फ्री होल्ड कर मालिकाना हक प्रदान करने का कार्य भी शुरू किया गया है। आवास योजना का लाभ भी हितग्राहियों को दिलाएंगे। इसके साथ ही पट्टे के मूल क्षेत्रफल से 50 प्रतिशत से अधिक में काबिज भूमि के नियमितीकरण का कार्य भी शुरू किया गया है। मुझे विश्वास है कि भूमिहीन परिवारों को धरती के अपने हिस्से पर हक दिलाने का यह काम एक ऐतिहासिक कीर्तिमान रचेगा।
हमने किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने का वादा निभाते हुए भी एक कीर्तिमान बना लिया है। वर्ष 2019-20 में लगभग 13 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी गई। इस कार्य में और गति लाने के लिए एक ओर हमने ‘छत्तीसगढ़ सिंचाई विकास निगम,’ इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन किया है, वहीं दूसरी ओर ‘बोधघाट बहुउद्देशीय परियोजना’ को भी प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। मेरा वादा है कि मुआवजा और पुनर्वास पैकेज का निर्धारण बस्तर के लोगों से पूछकर किया जाएगा। हम एक ऐसी सर्वश्रेष्ठ परियोजना बनायेंगे, जो बस्तरवासियों के सपनों को सच करे। इस तरह हम पांच वर्षों में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से वर्तमान सिंचाई क्षमता को दोगुना करेंगे।
‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत हमने आपको मिलने वाले 5 हजार 700 करोड़ रू. की पहली किस्त 1 हजार 500 करोड़ रू. दी थी। इसकी दूसरी किस्त राजीव जी की जयंती पर 20 अगस्त को दी जाएगी। ब्याज मुक्त कृषि ऋण के लिए हमने इस साल इतिहास का सबसे बड़ा 5 हजार 200 करोड़ रू. का लक्ष्य रखा है, जिसकी 72 प्रतिशत राशि का वितरण मात्र पांच माह में किया जा चुका है। आपके इस उत्साह के लिए साधुवाद। कृषि में इस निवेश का लाभ आपको आगामी फसल में मिलेगा।
खेती-किसानी में नए ज्ञान की फसल उपजाने के लिए हम ‘महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,’ 4 नए उद्यानिकी काॅलेज तथा 1 खाद्य तकनीकी एवं प्रसंस्करण काॅलेज भी खोलने जा रहे हैं। दुग्ध उत्पादन और मछली पालन को नए ज्ञान का सहारा देने के लिए 3 विशिष्ट पाॅलीटेक्निक काॅलेज भी खोले जायेंगे।
न्याय योजनाओं की पहल के बाद अब इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए ‘भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ की घोषणा हमने की है, जिसे जल्दी ही साकार किया जाएगा। प्रदेश के विकास और खुशहाली में मजदूरों की भागीदारी तय करना भी हमारे पुरखों का सपना था और हमारा कत्र्तव्य है। हरेली, तीजा, भक्त माता कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस जैसे दिवसों पर अवकाश घोषित करके हमने जिस सांस्कृतिक उत्थान का आरंभ किया था, उसे अब शिखर पर पहुंचाने के लिए ‘छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद’ का गठन किया गया है।
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