रायपुर- नान घोटाला मामले की जांच गलत ढंग से करने और अवैध तरीके से फोन टेपिंग कराने के मामले में आरोपी बनाये गए आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को राज्य शासन ने निलंबित कर दिया है. गुरुवार की देर रात ही ईओडब्ल्यू ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था. मुकेश गुप्ता डीजी स्तर के अधिकारी हैं, तो वहीं रजनेश सिंह नारायणपुर के एसपी के रूप में सेवाएं दे रहे थे. भूपेश सरकार की यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है.
मुकेश गुप्ता पिछली सरकार में बेहद ताकतवर अधिकारी माने जाते रहे हैं. ईओडब्ल्यू में उनकी पदस्थापना के कुछ महीनों बाद ही नागरिक आपूर्ति निगम(नान) में छापा मारा गया था. बहुचर्चित नान घोटाले मामले में कई प्रभावशाली नेताओं और अधिकारियों के नाम भी सामने आये थे. मामले की जांच का जिम्मा चूंकि मुकेश गुप्ता पर ही था, लिहाजा आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर जांच की दिशा बदली. कई बड़े चेहरों को बचाने का काम किया. उस दौरान रजनेश सिंह ईओडब्ल्यू में एसपी के रूप में काम देख रहे थे. ईओडब्ल्यू ने डीजी मुकेश गुप्ता एवं एस.पी. रजनेश सिंह के खिलाफ धारा 166, 166 A,(B) 167, 193, 194, 196, 201, 218, 466, 467, 471, 120B तथा भारतीय टेलिग्राफ़ एक्ट 25, 26 सहपठित धारा 5 (2) के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है.
बताते हैं कि मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह पर यह आरोप लगाया गया है कि नान घोटाले की जांच के दौरान मिले डायरी के कुछ पन्नों के इर्द-गिर्द ही जांच केंद्रीत रखी गई! जबकि डायरी के कई पन्नों में प्रभावशाली लोगों के नाम लिखे गए थे, जिन्हें जांच के दायरे में नहीं लाया गया! ऐसी स्थिति में यह संदेश पैदा करता है कि जांच को प्रभावित करने के साथ प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए जांच गलत ढंग से कई गई! इधर रमन सरकार में इंटेलिजेंस चीफ रहने के दौरान मुकेश गुप्ता और तत्कालीन एसीबी के एसपी रजनेश सिंह पर अवैध तरीके से फोन टैपिंग कराए जाने की भी शिकायत सामने आई है, जिसे एफआईआर का आधार बनाया गया है.