वन्यप्राणियों और लोगों की सुरक्षा के लिए वन विभाग का कंट्रोल रूम स्थापित
कवर्धा | 06 अगस्त 2020। वन क्षेत्रों में मानवीय बसाहट, अतिक्रमण, अवैध कटाई, अवैध उत्खनन, वन्य प्राणियों का अवैध शिकार तथा मानव विकास के लिए जंगलों का गैर वानिकी कार्य में व्याप्वर्तन के चलते वन्य प्राणियों के लिए प्राकृतिक आवास और प्राकृतिक संसाधन सीमित होते जा रहे हैं। इसके चलते वन्य प्राणी वनों से निकलकर मानवीय बसाहट वाले क्षेत्रों में आए दिन भटक कर आ जाते हैं, जिससे मानव-वन्य प्राणी द्वंद की स्थिति निर्मित होती है। इस द्वंद में कभी मनुष्य की जान जाती है, तो कभी वन्य प्राणी की जान जाती है, कभी फसल हानि होती है, तो कभी संपत्ति की नुकसानी होती है। ऐसे में प्राकृतिक संतुलन के साथ-साथ ऐसे बहुत से सुनियोजित विकास कार्यों की और सावधानियों की आवश्यकता है, जिसमें मानव-वन्य प्राणी द्वंद को कम से कम किया जा सके।
जिले के जन सामान्य, गणमान्य व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों, जिला में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों से पुनः वन विभाग, कवर्धा द्वारा अनुरोध किया गया है कि वन विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को किसी भी वन्य प्राणी जैसे, तेंदुआ, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, बायसन, बाघ, सोन कुत्ता, जहरीले सांप या अन्य प्रकार के सांप, सियार, चीतल, बायसन, वन भैंसा, सांभर, बार्किंग डियर, नीलगाय, आदि, की मानव आवासीय क्षेत्र में आ जाने की सूचना मिलती है, तो तत्काल उपलब्ध कराएं, ताकि जान-माल और वन्य प्राणी की सुरक्षा की जा सके तथा वन्य प्राणी को रेस्क्यू कर सफलतापूर्वक जंगलों में वापस छोड़ा जा सके।
डीएफओ दिलराज प्रभाकर ने जिले वासियों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी वन्य प्राणी जैसे, तेंदुआ, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, बायसन, बाघ, सोन कुत्ता, जहरीले सांप या अन्य प्रकार के सांप, सियार, चीतल, बायसन, वन भैंसा, सांभर, बार्किंग डियर, नीलगाय, आदि, की मानव आवासीय क्षेत्र में आ जाने की सूचना मिलती है तो कवर्धा वन मंडल के वन्य प्राणी रेस्क्यू सेल के कंट्रोल रूम का मोबाइल नंबर 7587013323, वन मंडल स्तरीय उड़नदस्ता के सहायक प्रभारी का 9425576857, अधीक्षक भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 7587013350, परिक्षेत्र अधिकारी भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 7828853500, उप वनमंडल अधिकारी कवर्धा का 9479027029 परिक्षेत्र अधिकारी कवर्धा का 8770976735, परिक्षेत्र अधिकारी अधिकारी तरेगांव तथा परिक्षेत्र अधिकारी पश्चिम पंडरिया का 9981192548, उप वनमंडल अधिकारी पंडरिया का 7974210301, परिक्षेत्र अधिकारी पूर्व पंडारिया का 9340135862, उप वनमंडल अधिकारी सहसपुर लोहारा का 7898755213, परिक्षेत्र अधिकारी सहसपुर लोहारा का 7647995150, परिक्षेत्र अधिकारी रेंगाखार का 7471180875 तथा परिक्षेत्र अधिकारी खारा का मोबाइल नंबर 93408 96308 हैं। वन मंडल अधिकारी जिला कबीरधाम का संपर्क नंबर 9479105168 है। इनसे संपर्क कर वन्य प्राणी की सूचना दे सकते है। जागरूक नागरिक वन विभाग को सूचित कर मानव-वन्य प्राणी द्वंद से बचाव में शासन का सहयोग कर सकता है।
बायसन आ जाए तो क्या करें
गांव के आसपास गौर या बायसन दिखने अथवा हमला करने की स्थिति में तुरंत वन विभाग को सूचित करें। गौर द्वारा हमला किए जाने पर घायल व्यक्ति को तुरंत निकटतम चिकित्सालय में लेकर जाएं। गौर शर्मिला जानवर होता है। यह दूर से देखकर हमला नहीं करता। बायसन के दिखने पर इससे दूरी बनाए रखें। गौर के समूह के नजदीक ना जाएं एवं इसके आसपास भीड़ ना लगाएं। मादा गौर अपने बच्चौं के साथ हो तो अधिक आक्रमक होती है। अतः ऐसी स्थिति में सतर्क रहें। गौर भोजन तथा पानी की तलाश में जंगल से भटक कर रहवासी क्षेत्र में आते हैं। अतः तालाब आदि के किनारे देखे जाने पर इन्हें अनावश्यक परेशान ना करें। वह स्वयं ही पानी पीकर जंगलों में वापस लौट जाते हैं। गौर के दिखाई देने पर उसे कुछ भी खिलाने का प्रयास ना करें। गौर के झुंड अथवा अकेले रहने पर उसे घेर कर मारने अथवा पकड़ने का प्रयास ना करें। गौर के आगे सेल्फी लेने या वीडियो बनाने के चक्कर में जान जोखिम में ना डालें। घरों के आसपास साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। कूड़ा-कचरा इत्यादि ना फैलाएं।
बायसन आ जाए क्या ना करें
गौर विचरण क्षेत्र में भीड़-भाड़ एकत्रित ना करें। गौर को भगाने हेतु खुद प्रयास ना करें। वन विभाग को सूचित करें। गौर को देख कर उस पर अनावश्यक रूप से पत्थर-कंकड़ इत्यादि ना फेंके। गौर को फंसाने हेतु किसी भी प्रकार का फंदा, बिजली का जी.आई.तार जिसमें करंट हो ना लगावें। यह एक दंडनीय अपराध है। गौर को अपनी तरफ से कुछ भी खिलाने के प्रयास ना करें। आपका यह कदम प्राणघातक सिद्ध हो सकता है। यदि उस क्षेत्र में गौर अकेला या मादा बच्चों के साथ या झुंड में हो, तो गांव के छोटे बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं जंगल में चारा या लकड़ी बीनने ना जाएं। गौर के दिखते ही भगदड़ ना मचाएं अन्यथा वह आपकी तरफ ही बढ़कर हमला कर सकता है। गौर या गौर के झुंड को किसी भी माध्यम से घेरने की कोशिश ना करें। अपनी जान बचाने के लिए वह किसी भी दशा में अचानक से आक्रमण करते हुए दौड़ सकता है। गौर को गुजर जाने का रास्ता दें ना कि किसी भी प्रकार का उसके रास्ते में अवरोध उत्पन्न करें। वन विभाग के समय-समय पर दिए गए निर्देशों का कदापि उल्लंघन ना करें।
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