कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की है कि वह आगामी आंध्र प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी। कांग्रेस महासचिव और आंध्र के प्रभारी ओमान चांडी ने बताया कि पार्टी सभी 175 विधानसभा सीटों और 25 लोकसभा सीटों पर अकेले ताल ठोकेगी। चांडी ने यह घोषणा दो दिनों तक पूर्व मंत्रियों, विधायकों और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों के साथ चले मंथन के बाद की।
यह फैसला उस वक आया है जब एक दिन पहले ही राज्य के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी। नायडू ने कहा था कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर फैसला पार्टी कार्यकर्ताओं की मर्जी से होगा। गौरतलब है कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था मगर गठबंधन कोई खास कमाल नहीं कर पाया था। केसीआर की आंधी के बीच कांग्रेस ने 119 सीटों में से 19 जबकि टीडीपी ने मात्र दो सीटों पर जीत हासिल की थी।
तेलंगाना के कांग्रेस नेताओं ने भी राहुल गांधी स टीडीपी से गठबंधन तोड़ने की मांग की थी। 9 जनवरी को आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को गठबंधन को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी थी। अविभाजित आंध्र पर कांग्रेस ने 2004-14 तक राज किया मगर बंटवारे का नुकसान उसे उठाना पड़ा। कांग्रेस ने बंटवारें के बाद आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही थी। सर्वे बताते है कि इस वादे की वजह से कांग्रेस इस बार अपना वोट शेयर 12 फीसदी तक बढ़ा सकती है।
दक्षिणी तट के एक जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि चुनाव में कांग्रेस का अकेले उतरना नुकसानदायक होगा। पार्टी के अंदर मौजूद कुछ लोग यह सलाह जगहमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस को फायदा दिलाने के लिए दे रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक कांग्रेस और टीडीपी में एकता की कमी से वाईएसआर को फायदा होगा। तेलंगाना जैसा परिणाम मिले यह जरुरी नहीं है। तेलंगाना राष्ट्र समिति ने चुनाव में टीडीपी को बाहरी की तरह दिखाया और दिल्ली-अमरावती प्रभुत्व की बात कहकर जनभावनाओं को भड़काया। यह मुद्दा यहां नहीं होगा अगर कांग्रेस और टीडीपी राज्य में साथ आए।