हनुमान जयंती आज मनाई जा रही है. यह तेलुगु हनुमान जयंती (Telugu Hanuman Jayanti) है. वैसे उत्तर भारत में हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो इस वर्ष 16 अप्रैल दिन शनिवार को मनाई गई थी. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था और पूर्णिमा तिथि को रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म हुआ था. उत्तर भारत में चैत्र माह का शुक्ल पक्ष श्रीराम और हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष है. दक्षिण भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि में हनुमान जयंती वैशाख माह की दशमी तिथि को मनाई जाती है. हिंदू कैलेडर के अनुसार, इस समय ज्येष्ठ माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है, लेकिन तेलुगु पंचांग के अनुसार अभी वैशाख माह है. दृक पंचांग के आधार पर जानते हैं तेलुगु हनुमान जयंती की तिथि और पूजा मुहूर्त के बारे में.
तेलुगु हनुमान जयंती 2022 मुहूर्त
तेलुगु पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि का प्रारंभ कल 24 मई दिन मंगलवार को सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर हुआ था. इस तिथि का समापन आज 25 मई दिन बुधवार को सुबह 10 बजकर 32 मिनट पर हुआ है. उदयातिथि के आधार पर तेलुगु हनुमान जयंती आज है. आज हनुमान जी की पूजा की जा रही है और उनकी महिमा का गुणगान किया जा रहा है.
तेलुगु हनुमान जयंती का महत्व
चैत्र पूर्णिमा के दिन से हनुमान जयंती का प्रारंभ होता है, जिसका उत्सव 41 दिनों तक होता है. हनुमान जन्मोत्सव का समापन वैशाख कृष्ण दशमी तिथि को होता है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में भक्त चैत्र पूर्णिमा से दीक्षा से शुरु करते हैं, जिसका समापन वैशाख कृष्ण दशमी को होता है. इन राज्यों में 41 दिनों में हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी भगवान शिव के अंश हैं. त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम की मदद के लिए भगवान शिव के रुद्रावतार हनुमान का जन्म हुआ. पवनपुत्र हनुमान जी के पिता केसरी और माता अंजना थीं.
अपने प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी एक सच्चे सेवक होने के साथ ही उनके संकटमोचन भी थे. माता सीता का पता लगाना हो, लक्ष्मण के लिए संजीवनी लानी हो या फिर राम-लक्ष्मण को नाग पाश से मुक्त कराना हो, हनुमान जी के बिना यह संभव नहीं था.
हनुमान जी की पूजा विधि
आज हनुमान जयंती के अवसर पर व्रत रखा जाता है और हनुमान जी की पूजा करते हैं. हनुमान जी को लाल फूल, फल, मिठाई, चंदन, सिंदूर, अक्षत्, दीप, गंध आदि अर्पित करते हैं. उसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और हनुमान जी की जन्म कथा सुनते हैं. फिर हनुमान जी की आरती करते हैं.