0 कोयलिबेड़ा ब्लाक ग्राम पंचायत मछ्पल्ली के आश्रित ग्राम परियाहुर
पखांजूर से कबीर दास
पखांजूर – भले ही छत्तीसगढ़ सरकार विकास की गिनती गिनाते हुए नहीं थकते मगर आज भी छत्तीसगढ़ राज्य में कई ऐसे गावं हैं जहां पर ग्रामीण विकास से कोसो दूर हैं। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ राज्य के कांकेर जिले से महज 160-170 किमी दूर कोयलिबेड़ा ब्लाक ग्राम पंचायत मछ्पल्ली के आश्रित ग्राम परियाहुर की जहा आजादी के 72 साल बाद भी मुलभुत सुविधाओं से कोसो दूर हैं ग्रामीण। ग्रामीणों के मुताबिक परियाहुर गावं के लोग आज भी मुलभुत सुविधाओं से कोसो दूर हैं गांव में ना तो सड़क हैं बिजली हैं नहीं शिक्षा व्यवस्था हैं और ना ही स्वास्थ्य की उपचार हेतु कोई साधन, इस गांव में लगभग 80 से 100 की जनसख्या हैं। गांव के पटेल मडडूराम गावडे ने बतलाया हम ग्रामीण तमाम सुविधाओ के मोहताज हैं हमें कुछ भी नहीं मिलता ना शुध्य पानी बिजली सड़क,स्कुल,स्वस्थ केंद्र कुछ भी नहीं जबकि शासन द्वारा गावं के ग्रामीणों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई योजना संचालित किये हैं मगर हम ग्रामीणों तक पहुचाने वाला कोई नहीं हैं ऐसे में शासकीय दावे सब खोखले साबित हो रहे हैं।
झोपडी में स्कुल – छत्तीसगढ़ सरकार अनेक स्थान पर स्कुल भवन निर्माण करवा रहे हैं मगर इस गांव की ओर किसी का ध्यान नहीं पड़ी आज देश आजाद हुआ कई वर्ष बीत चुके हैं मगर इस ग्रामीणों की बेबशी किसी को रास नहीं आई यह तक ग्राम पंचायत के मुखिया कहलाने वाले सरपंच की नजर तक नहीं पड़ी जबकि उन्हें इसी गांव ग्रामीणों के मतदान से सरपंच पद पर निर्वाचित किया गया था इससे अंदाजा लगा सकते हैं की शासकीय नुमैन्दे ग्रामीणों के हित के प्रति कितना सजग हैं आज परियाहुर गंाव में स्कुल की व्यवस्था नहीं हैं झोपडी में संचालन किया जा रहा हैं और जिम्मेदार कुम्भकर्णी नींद में सोये हैं अगर गावं में सुचारू रूप से स्कुल का संचालन शासन द्वारा किया जाता तो गावं के लगभग बच्चे शिक्षित कहलाते स्कुल के अभाव में बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं
शुद्ध पानी की व्यवस्था नहीं – ग्रामीणों को पीने के शुद्ध पानी की कोई व्यवस्था नहीं हैं इस गंाव में एक ही हैण्ड पंम्प हैं जिसे आस-पास गंदगी भरा पड़ा हैं देखकर पानी पीने की इच्छा नहीं होती हैं ग्रामीण बिष्णुराम गावडे मानु पद्दा जानुबाई गावडे लकमी गावडे ने बतलाया पीने का पानी की कोई व्यवस्था नहीं हैं नाल के आस-पास बहुत गन्दगी हैं पुरे गाएं के लिए एक ही हैण्ड पंम्प हैं जिससे साफ पानी नहीं निकलता हमें मजबूरी में गावं से 3 किमी दूर नदी का पानी पीना पड़ता हैं कई बार पंचायत के जिम्मेदारो को अवगत करवाया मगर कोई व्यवस्था नही किया गया हमारे बच्चे भी कभी-कभी गन्दा पानी पीने से बीमार पड़ते हैं।
बिजली की व्यवस्था नहीं – डिजिटल युग में सभी को चाहत होती हैं की मनोरंजन के लिए घर पे कोई व्यवस्था हो मगर परियाहुर के ग्रामीण इतने बदनसीब हैं की आजादी के बाद किसी भी अधिकारी कर्मचारियों की नजर इस गावं की ओर नहीं पड़ी और आज भी ग्रामीण मनोरंजन की दुनिया के दूर हैं उनके घर पे ना कोई साधन हैं ना कोई उपकरण 65 वर्षीय जटाबाई गावडे कहती हैं आंखे तरस रही हैं रौशनी देखने के लिए बाजु बाले गावं में जब बिजली देखती हूँ तो बहुत खुशी होती हैं की हमारे गावं में भी बिजली की व्यवस्था होगी हमारे नाती रात को पढ़-लिख पाएंगे मगर अब अखे पथरा गईं हैं बाबु उम्मीद टूटने लगी मेरी उम्र भी जबाब दे रही हैं लगता हैं उम्मीदों के साथ इस दुनिया से जाना पड़ेगा गावं के ग्रामीणों का कहना हैं अगर गावं में बिजली लग जाती तो हमारे बच्चे अच्छे से पढ़-लिख पाते।