पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध अथवा मोक्ष कर्म और तर्पण का महत्व बताया गया है। इसके लिए बिहार का गया प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि गया में पिता का मोक्ष कर्म एवं तर्पण होता है। यहां हम बताएंगे दुनिया के उस एक मात्र स्थान के बारे में जहां मां का श्राद्ध होता है।
यह स्थान है गुजरात स्थित बिंदु सरोवर। यह पाटन जिले के सिद्धपुर में स्थित है। इस स्थान का धार्मिक महत्व बताते हुए पं. कमलेश भाई व्यास कहते हैं, मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु नारायण ने कपिल मुनि के रूप में अवतार लिया था। यहां माता देवहुति ने नौ कन्याओं के बाद कपिल भगवान को जन्म लिया था। तब भगवान की आंख से जो खुशी का आंसू (बिंदु) गिरा था, उससे बिंदु सरोवर बना था।
इसी स्थान पर भगवान ने देवहुति को ज्ञान दिया था। बाद में भगवान विष्णु में ध्यान लगाते हुए माता देवहुति मृत्यु को प्राप्त हुई थी। माना जाता है कि इसी सरोवर के तट पर माता की मृत्यु पश्चात कपिल मुनि ने उनकी मोक्ष प्राप्ति हेतु अनुष्ठान किया था और इस प्रकार अपनी माता का श्राद्ध करने वाले प्रथम मुनि हुए।
इसी स्थान पर कर्मकांड करवाने वाले पं. दीपक शास्त्री बताते हैं कि महान ऋषि परशुराम ने भी अपनी माता का श्राद्ध बिंदु सरोवर के तट पर किया था। यहां परशुराम का एक आश्रम भी है, जो मातृ हन्ता के पाप से मुक्त होने के उनके प्रयास का प्रमाण है।
5 पवित्र सरोवरों में से एक है बिंदु सरोवर
बिंदु सरोवर 5 पवित्र सरोवरों में से एक है। एक मान्यता यह भी है कि यह स्थान कभी कपिल मूनि के पिता कर्दम ऋषि का आश्रम था और इस स्थान पर उन्होंने 10,000 वर्ष तक तप किया था। इस सरोवर का उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है। अन्य चार पवित्र सरोवर इस प्रकार हैं – अमृत सरोवर (कर्नाटक के नंदी हिल्स पर), कपिल सरोवर (राजस्थान- बीकानेर), कुसुम सरोवर (मथुरा- गोवर्धन), नल सरोवर (गुजरात- अहमदाबाद अभयारण्य में)।