सब धरती कागद करौं, लेखनि सब बनराय ।
सात समंद की मसि करौं, गुरु गुन लिखा न जाय ।।
कबीरधाम जिले के अस्सी सावन देख चुके ख्यातिलब्ध जनकवि गुरूदेव सम्माननीय सहज, सरल, सहृदय, सौम्य, सनातनी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री गणेश शरण सोनी जी ‘प्रतीक’ आशुकवि, काव्यभूषण, जनश्री अलंकृत, रंगकर्मी एवं चित्रकार से आज अनायास कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कबीरधाम (पूर्व संस्था भवन- शास.नवीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कवर्धा) में अपनी पुरानी यादे लेकर अपने भूतपूर्व विद्यार्थियों से सौजन्य भेंट हेतु सीधे डीईओ चेम्बर में पहुंच कर हम सब से चाय के दौरान नए-पुराने-तात्कालिक रचनाएं कविता एवं स्वस्फूर्त कलम से निर्मित द्विआयामी रेखाचित्र भेंट कर अपने प्रिय छात्र द्वय श्री महेन्द्र गुप्ता व सतीश यदु को समर्पित कर इस भवन तात्कालीन संस्था शा.पू.मा.शा. कवर्धा में 17 वर्षो की शिक्षकीय जीवन की मिठी यादों को साझा किया । बारह लोगों की अलग-अलग आवाज में कथानक प्रस्तुति, बारह लीजेंड सिंगर की आवाज मे उनके गीत गाना आशु कवि के साथ-साथ आशु चित्रकार के रूप में अपनी अद्भुत, अनुपम, अनूठा, अप्रतिम कलाकृति से चिर-परिचित अंदाज में परिचय देते हुए जिन्दादिली से सबसे कुशलक्षेम जाना । लंबे समयान्तराल के उपरान्त गुरुदेव से मुलाकात हुई, अच्छा लगा ।
अस्सी बरस बाद भी जो आंखों में चमक बिना ऐनक के …. उर्वर मष्तिक …. काबिले तारीफ़ याददाश्त …. लेखन की बारिकियां…. कलम पर पकड़, मनोविनोदी…. रचनाधर्मिता से गुदगुदाने वाले…. यायावर सा जीवन शैली …. क्षण भर मे सम सामयिक चित्रकारी …. आपके इच्छित शब्दों पर तत्काल कविता की फुलझड़ियां छोड़ना …. मुखाग्र सैकड़ो कविता का चलता फिरता काव्य संग्रह सब कुछ नई पीढ़ी के लिए अनुकरणीय व अनुसरणीय है शरण जी का व्यक्तित्व….
उनके अंदाजे बयां कुछ यूं था …
“लौटकर फिर ना आएगा वो हँसने और हँसाने का मौसम, ग़मे-दिलों के जख्मों में मरहम लगाने का मौसम।” प्रतीक