कवर्धा – प्रदेश सरकार ने क्षेत्रिय व देशी मछलियों के संरक्षण एवं संवर्धन करने व उत्पादन बढाने के लिए मांगुर और बिग हैड जैसी प्रजाति के मछली पालन पर प्रतिबंध लगा दिया है फिर भी जिले के कई ऐसे क्षेत्र है जहां इन मांसभक्षी मछलियों का क्रय विक्रय हो रहा है। विदेशी प्रजाति की ये मछलियां मांस भक्षी होते है इसलिए अन्य जलजीवो की हानि हो रही है। इसको देखते हुए बिग हैड यानी हाईपोप्थेलमिक्थिस नोबीलीस और थाइलैण्ड मांगुर यानी क्लेरियस गरीलिनस मछली पालन पर रोक लगा दिया है। नियमो का उलंघन करने पर 10 हजार रूपये या एक वर्ष की जेल हो सकती है। मांगुर मछली उत्पादन के लिए हाईब्रिड नश्लो का उपयोग हो रहा है। ये दोनो प्रजाति की मछलियां मुख्य रूप से मांस भक्षी होते है इसलिए इसका पालन करने से भारतीय प्रजाति की मछलियां और जलचर अन्य जीवो को ये खा जाती है इसके कारण भारतीय किस्म की मछलियां और अन्य मानवमित्र कहे जाने वाले कीटो का अस्तित्व समाप्त होने की आशंका है इसको देखते हुए शासन ने इस नश्ल के मत्स्य बीज उत्पादन, सवंर्धन आयात निर्यात परिवहन तथा विपणन को प्रतिबंधित किया है। उप संचालक मत्स्य पालन विभाग कवर्धा से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिग हैड़ एवं मांगुर के पालन से भारतीय प्रजातियो के विनाश की पूर्ण आशंका है। थाईलैण्ड मांगुर उच्च मांसभक्षी मछली है। बिग हैड एवं थाईलैण्ड मांगुर पालन से अन्य सभी जल जीवो की हानि होती है। भारतीय मत्स्य प्रजातियो एवं अन्य जल जीवो के सुरक्षित प्रजनन पालन एवं वंश को सुरक्षित रखने के लिए यह प्रतिबंध लगाया गया है। छत्तीसगढ मतस्य क्षेत्र अधिनियम 1948 एवं छत्तीसगढ मत्स्य क्षेत्र संशोधन अधिनियम 2015 के अपरोक्त प्रतिबंधित मछलियो का पालन, मत्स्य बीज उत्पादन, संवर्धन आयात निर्यात परिवहन तथा विपणन दण्डनीय अपराध है। उक्त प्रतिबंध का उंलघन किये जाने पर 10 हजार रूपये या एक वर्ष की जेल या दोनो दण्ड से दण्डित किया जाएगा।