रायपुर : – भूपेश सरकार ने कोरोना से लड़ाई लड़ने के लिए दो अहम फैसले लिए हैं। लॉकडाउन के दौरान उन लोगों को भी दुकानों से राशन मिलेगा जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि अभी सभी के कार्ड नहीं बन पाए हैं। इसके अलावा सरकार हर जिले में कोरोना से निपटने के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीदी डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (डीएमएफ) से कर सकेगी। केंद्र सरकार ने इस मद से 30 फीसदी खर्च की करने की छूट दे दी है। छत्तीसगढ़ के पास 1686 करोड़ डीएमएफ के हैं। इसका 506 करोड़ कोरोना की जांच के लिए रैपिड किट, पीपीई किट, मास्क, सेनिटाइजर व ग्लव्ज खरीदने में किया जा सकेगा। लॉकडाउन से देश के 23 राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को खाद्यान्न और रोजमर्रा के खर्च के लिए नगद राशि की व्यवस्था के लिए सीएम भूपेश बघेल ने बड़ी पहल की है। वहीं, जम्मू में फंसे सर्वाधिक तीन हजार श्रमिकों के लिए स्थानीय प्रशासन से समन्वय कर उनके रहने-खाने की व्यवस्था कराई गई है।
इधर, राज्य के भीतर भी गर्भवतियों और छोटे बच्चों की सेहत को लेकर भी सीएम पूरी नजर बनाए हुए हैं। लाॅकडाउन के कारण प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्र बंद किए गए हैं। सीएम की माॅनिटरिंग के चलते इन्हें गर्म भोजन से स्थान पर रेडी टू ईट और सूखा राशन वितरित किया जा रहा है। पांच लाख हितग्राहियों के यहां 21 दिन के लिए सूखा राशन पहुंचाया गया है। इसी तरह 3-6 साल तक के समान्य, मध्यम और गंभीर कुपोषित बच्चों को गर्म भोजन के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में 125 ग्राम रेडी टू ईट प्रतिदिन के मान से 750 ग्राम टेक होम राशन (रेडी टू ईट)का वितरण किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर-नवंबर 2019 की बकाया जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि 341.56 करोड़ जारी किए हैं। अभी जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक 1554.44 करोड़ और मिलने हैं। जीएसटी मंत्री सिंहदेव ने यह राशि भी जल्द जारी करने की मांग की है। सिंहदेव ने कहा कि यह राशि मिलने से प्रदेश को कोरोना से निपटने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने और लॉकडाउन के दौरान लोगों को राहत पहुंचाने में मदद मिलेगी।
25 लाख मीट्रिक टन धान एफसीआई को देगी
राज्य सरकार ने समर्थन मूल्य पर इस साल कुल 83 लाख 67 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी की है। इनमें से 25 लाख मीट्रिक टन धान एफसीआई को देगी। राज्य सरकार को मध्यान्ह भोजन, राशन वितरण, कुपोषण अभियान सभी योजनाओं को लिए हर साल लगभग 25 लाख 40 हजार मीट्रिक टन चावल की जरुरत होती है। खाद्य विभाग का दावा है कि गरीबों आैर जरुरतमंदों को चावल बांटने के बाद भी उनके पास लगभग एक साल का चावल अतिरिक्त है। कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान लोगों की भोजन की चिंता दूर करने के लिए राशन दुकानों के माध्यम से उन्हें चावल दे रही है। इसके तहत प्रदेश के 56 लाख राशनकार्ड धारकों के अलावा अन्य ऐसे लोगों को भी सरकार राशन दे रही है जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। राज्य सरकार 7 अप्रैल तक 40 लाख 39 हजार 88 राशन कार्डधारकों को दो महीने का राशन दे चुकी है। इसके तहत प्रदेश में अंत्योदय, प्राथमिकता, एकल निराश्रित, अन्नपूर्णा एवं निःशक्तजन श्रेणी के राशन कार्डाें की संख्या 56 लाख 56 हजार 346 और सामान्य (एपीएल) राशन कार्डाें की संख्या 8 लाख 82 हजार 838 है। राज्य सरकार जरुरतमंद आैर गरीबों को लाॅकडाउन में भी राशनकार्ड बनाकर देने की तैयारी में थी, लेकिन व्यावहारिक दिक्कतों की वजह से तय किया गया है कि कार्ड भले ही नहीं बने, उसके बदले में उसे राशन जरूर दिया जाए।
चावल के लिए भी फंड एडजस्ट
उल्लेखनीय है कि धान खरीदी की निर्धारित तिथि तक प्रदेश के कुल 19 लाख 55 हजार किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया था जबकि खरीदी की अंतिम तिथि तक कुल 18 लाख 34 हजार किसान अपना धान बेच पाए थे। कुल धान का लगभग 43 लाख मीट्रिक टन धान राइस मिलर्स उठाएंगे। राज्य सरकार केन्द्र से लगातार सेंट्रल पुल में जमा करने वाले धान की मात्रा 25 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 31 लाख करने की मांग कर रही है। सरकार ने 25 सौ रुपए प्रतिक्विंटल की दर से धान की खरीदी की है। जिसमें से अंतर की राशि 685 रुपए देने के लिए सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरु की है। इसके तहत किसानों को अंतर की राशि दी जाएगी।
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