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सन 1996 से रिकार्ड सुधार व बंटवारे को दिया आवेदन कार्रवाई शुन्य

नजूल की धीमी कार्रवाई कहीं न दे विवादो को जन्म

 

कवर्धा – नजूल विभाग मे आज भी लोग जमीन बंटवारे व भूखंड़ सुधार की मांग को लेकर चक्कर लगा रहे बावजूद इसके अधिकारी इन समस्याओं को दुर करने गंभीर नजर नही आ रहे है। आये दिन महिला पुरुष जमीन के मामले को लेकर घंटो कार्यालय मे बैठे रहते है। उपस्थित कर्मचारियों द्वारा कहा जाता है कि अधिकारी फील्ड़ मे गये है तो कभी बैठक या कल आने की बात कह कर आवेदक को लौटा देते है ऐसी स्थिती मे आवेदक रोज मायुस होकर घर को लौट जा रहेे है, जमीनी मामले मे कभी कभी परिवारो के बीच विवाद इतना बढ जाता है कि बात थाने तक पहुंच जाती है, इसके बाद भी जमीन की समस्या का समाधान होते नजर नही आता। हालांकि नजूल विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों को जमीनी कार्य मे तेजी लाने दिशा निर्देष भी दिये जाते है बावजूद इसके कार्रवाई शुन्य रहती है। आज भी नजूल विभाग मे 20 वर्षो से ज्यादा पुराने आवेदनो का निराकरण नही किया जा सका हैं कुछ मामले मामले आज भी आयुक्त दूर्ग संभाग मे लटके हुए है ज्ञात हो कि नजूल शीट क्रमांक 15 बी प्लाट नंबर 242 मे त्रुटि का मामला सामने आया था उक्त भूमि वर्तमान मे स्वर्गीय शिवचरण नामदेव के नाम पर दर्ज है जिसमे त्रुटि सुधारकर स्वर्गीय शिवचरण नामदेव के दोनो पुत्रो के नाम पर यह जमीन आना था जिसके लिए सन 1996 मे आवेदन किया गया था लेकिन आज तक इस मामले मे अनेको बार आवेदन देने के बाद भी कार्रवाई नही हो पायी है। आवेदन के अनुसार शिवचरण नामदेव का देहांत 18 मई 1983 मे हो गया था उनके पुत्रो द्वारा 1996 मे नामांतरण के लिए आवेदन किया गया था तथा समस्याओं का निराकरण करने शासन के द्वारा लगाये गये जनदर्शन मे भी आवेदक द्वारा गुहार लगाया गया जिसका टोकन क्रमांक 080116000091 दिनांक 2 फरवरी 2016 मे दर्ज है। भूखंड़ क्रमांक 242/15 बी का निराकरण आज तक नही हो पाया है। जबकि बताया जा रहा है कि उक्त भूमि के नंबरदार का देहांत हो चुका है लेकिन अब यह भूमि उनके पुत्र व उनके भाई के पुत्रो के नाम पर चढ़ाया जाना है जिसके लिए भी कई आवेदन विभाग को दिये जा चुके है और आवेदकगण कार्यालय के चक्कर काटने मजबुर हो चुके है दरअसल जिस समय इस आवेदन को दिया गया उस समय यह जमीन शीतला वार्ड क्रमांक 10 मे आता था और अब यह वार्ड क्रमांक 19 मे आने लगा है 2019 लगने के बाद भी इस समस्या का निराकरण नही हो पाया है आवेदक अपने आप को ठगा सा महसुस कर रहे है कि अब आवेदन किसे दे।

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