विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष : गुलाब डड़सेना
सभी समस्याआें का हल, शिक्षा देगा बेहतर कल
शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता की महत्व को समझने लगे है बैगा जनजाति
बैगा समाज के अध्यक्ष ने किया अनुभव साझा, कहा – राष्ट्रीय जनजाति साहित्य महोत्सव में
बैगा समाज की कला, साहित्य, हुनर को संरक्षण, संवर्धन करने के लिए अवसर दिया
छत्तीसगढ़ में कबीरधाम प्रदेश का एक मात्र ऐसा जिला है, जहां विशेष पिछड़ी जनजातियों में शामिल बैगा जनजाति की सर्वाधिक जनसंख्या और आबादी इस जिले में निवास करती है। मैकल पर्वत श्रृंख्ला से लगे जिले के बोडला और पंडरिया दो विकासखण्ड के सूदूर और दुर्गम पहाड़ियों पर अधिकांश बैगा बसाहवट गांव है। जिले में कुल 263 चिन्हांकित विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति की गांव, बसाहवट है।
कवर्धा, 08 अगस्त 2022। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में निवास विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के जीवन में शिक्षा,स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ने के बाद सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। बैगा जनजाति के कक्षा पहली और दूसरी के बच्चे अब अपनी ही बोली-भाषा में तैयार की गई बैगानी भाषा में प्रकाशित किताबें पढ़ रहे है। इससे बैगा जनजाति की नई पीढ़ियों को शिक्षा से जोड़ने में और मदद भी मिल रही है। राज्य शासन के राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद छत्तीसगढ़ ने इस किताब को तैयार किया है। अब जल्द ही बैगा-बोली भाषा में पहाड़ा और बारहखड़ी भी प्रकाशित होने वाली। इस दिशा में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने अपना काम भी शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विशेष प्रयासों से राष्ट्रीय जनजाति साहित्य महोत्सव का आयोजन हुआ। इस सम्मलेन में राज्य विभिन्न जिलों में निवासरत पांच विशेष पिछड़ी जनजातियां बैगा, अबूझमाड़िया, कमार, पहाड़ी कोरबा और बिरहोर के प्रतिनिधिमंडल ने शिरकत की। कबीरधाम जिले से विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति के प्रदेश अध्यक्ष ईतवारी बैगा भी शामिल हुए। ईतवारी बैगा ने राष्ट्रीय जनजाति साहित्य महोत्सव में मिले सम्मान और प्रदेश सरकार के जनकल्याणकारी योजनाआें से उनके जीवन में आ रहे व्यापक बदलाव के अनुभवों को साझा किया। जिले के विशेष पिछड़ी बैगा जाति का मानना है कि राज्य सरकार की नीति से समाज के पढे लिखे-युवक-युवतियों को स्थानीय स्तर पर शाला संगवारी, मितानिन कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,सहायिका, सहित जिला स्तर पर सीधी भर्ती में प्राथमिकता देने से समाज के लोगों में शिक्षा के प्रति चेतना आई है। शिक्षा के महत्व को समझने लगे है। शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति आई जागरूकता से जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव भी देखी जा रही है। समाज का मानना है कि शिक्षा ही सभी समस्याओं का हल है, और यही शिक्षा ही बेहतर कल देने की हमारी मदद करेगी।
छत्तीसगढ़ में निवासरत विशेष पिछड़ी संरक्षित जनजातियों की रहन-सहन,बोली-भाषा, वेश-भूषा, कला,संस्कृति और उनके रीति-रिवाजों को मूलस्वरूप में बनाए रखने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। शिक्षा से जोड़ने के लिए विशेष पिछड़ी बैगा जनजातियों के बच्चों को लिए कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखण्ड के ग्राम पोलमी में बालक और बालिका के आवासीय विद्यालय संचालित है। यहां कक्षा पहली से दसवीं तक कक्षा संचालित है। बालक और बालिका के लिए सौ-सौ सीट निर्धारित है। इसी प्रकार बोडला विकासखण्ड के ग्राम चौरा में आवासीय विद्यालय खोली गई है। कवर्धा में बैगा बालक छात्रावास संचालित है। पंडरिया विकासखण्ड के ग्राम कुकदूर में लगभग 14 करोड़ 50 लाख रूपए की लागत से राज्य शासन द्वारा विशेष पिछडी बैगा जनजाति के पोस्ट मैट्रिक विद्यार्थियों के लिए छात्रावास तैयार किया जा रहा है। इस छात्रावास में बालक और बालिका के लिए 250 सीट अलग-अलग निर्धारित है।
छत्तीसगढ़ में कबीरधाम प्रदेश का एक मात्र ऐसा जिला है, जहां विशेष पिछड़ी जनजातियों में शामिल बैगा जनजाति की सर्वाधिक जनसंख्या और आबादी इस जिले में निवास करती है। मैकल पर्वत श्रृंख्ला से लगे जिले के बोडला और पंडरिया दो विकासखण्ड के सूदूर और दुर्गम पहाड़ियों पर अधिकांश बैगा बसाहवट गांव है। जिले में कुल 263 चिन्हांकित विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति की गांव, बसाहवट है। जिसमें सर्वाधिक गांव बोडला विकाखसण्ड में है। बोडला विकासखण्ड में विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति गांव 183 और पंडरिया विकासखण्ड में 75 आबादी गांव है। हालांकि इसके अलावा प्रदेश के अन्य राजनांदगावं, कोरिया, मुंगेली, बिलासपुर और नवीनतम जिला खैरागढ़, गौरेला पेंड्रा-मरवाही के वनांचल क्षेत्रों में यह जनजाति निवास करती है।
ईतवारी बैगा का मानना है कि संचालनालय आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राष्ट्रीय जनजाति साहित्य महोत्सव में छत्तीसगढ़ राज्य के विशेष संरक्षित जनजातियों के समाज प्रमुखों एवं बैगा समाज की कला, साहित्य, हुनर को संरक्षण, संवर्धन करने के लिए अवसर दिया गया। समाज के और प्रबृद्धजन समारू बैगा, मुन्नी बाई बैगा, कामू बैगा, सुंदर बैगा, तीजन बैगा, लमना बैगा, तितरू बैगा, केसर बैगा का भी मानना है कि पहली बार विशेष संरक्षित जनजाति बैगा के समाज प्रमुख और कलाकारों ने किया अपनी हुनर का प्रदर्शन किया।
छत्तीसगढ़ राज्य में पांच विशेष पिछड़ी जनजातियां बैगा, अबूझमाड़िया, कमार, पहाड़ी कोरबा और बिरहोर निवासरत है। इन सभी विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए विकास के लिए विशेष अभिकरण का गठन किया गया है। विशेष पिछडी जनजातियों के कला-संकृति और उनके वेश-भूषा की महत्व को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण फैसले लिए गए है। प्रदेश को कबीरधाम जिला पहला जिला है जहां बैगा समाज के पढे-लिखें 117 शिक्षित युवक-युवतियों को शाला संगवारी के रूप में चयन कर रोजगार से जोड़ा गया है। राज्य सरकार की नीति के परिणाम है कि आज बैगा समाज के युवक-युवतियां स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रही है।
विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति और वनांचल में रहने वाले हजारों परिवारों का मानना है कि राज्य सरकार उनके जीवन में आर्थिक रूप बदलाव लाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर देने के लिए वनोपज सग्रहण के लिए नीतियां बनाई गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप प्रदेश के वनवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में वर्तमान में समर्थन मूल्य पर 61 लघु वनोपजों की खरीदी की जा रही है। इस तरह छत्तीसगढ़ में लगभग तीन वर्ष में समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 61 कर दी गई है। तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 25 सौ रूपए से बढ़ाकर सीधे 4 हजार रूपए कर दिया गया है। प्रदेश भर में 856 हाट-बाजारों में लघु वनोपज की खरीदी की नई व्यवस्था देने से प्रदेश के किसानों से लेकर वनो में निवारत लाखों वनवासियों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहकों को समाजिक सुरक्षा का लाभ देने के लिए सहित शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक समाजिक सुरक्षा योजना बनाई गई है। पूरे प्रदेश में इस योजना के तहत तेंदूपत्ता संग्राहक में लगे हुए लगभग 12 लाख 50 हजार संग्राहक परिवारो को समाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में निर्धारित समर्थन मूल्य के तहत 52 से बढ़ाए गए 61 लघु वनोपजों में हर्रा बाल, महुआ फूल कच्चा (फूड ग्रेड), झाडू छिंद (घास), कोदो, कुटकी (काला), कुटकी (भूरा), रागी, अमचूर (सफेद) तथा अमचूर (भूरा) नवीन लघु वनोपज शामिल है। निर्धारित समर्थन मूल्य के अनुसार इनमें हर्रा बाल 30 रूपए, महुआ फूल कच्चा (फूड ग्रेड) 10 रूपए , झाडू छिंद (घास) 15 रूपए, कोदो 30 रूपए, कुटकी (काला) 30 रूपए, कुटकी (भूरा) 30 रूपए, रागी 33.77 रूपए, अमचूर (सफेद) 120 रूपए तथा अमचूर (भूरा) 80 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदी की जाएगी।
वर्तमान में समर्थन मूल्य के अंतर्गत खरीदी की जा रही लघु वनोपजों में संग्रहण दर मालकांगनी बीज (सूखा) 100 रूपए, बायबडिंग 94 रूपए, कालमेघ/भूईनीम (सूखा) ग्रेड-1-35 रूपए, कालमेघ/भूईनीम (सूखा) ग्रेड-2-31.50 रूपए, आंवला (बीज रहित) सूखा 57 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। इसी तरह रंगीनी लाख/छिली लाख (सूखा) 220 रूपए, रीठा फल (सूखा) 14 रूपए, वन जीरा बीज 70 रूपए, सतावर जड़ (सूखा) 107 रूपए, चरौटा बीज ग्रेड-1-16 रूपए, चरौटा बीज ग्रेड-2-14.50 रूपए, शहद 225 रूपए तथा नागरमोथा (सूखा) 30 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। माहुल पत्ता 15 रूपए, हर्रा साबूत (सूखा) ग्रेड-1-15 रूपए, हर्रा साबूत (सूखा) ग्रेड-2-13.50 रूपए, हर्रा कचरिया 25 रूपए, बहेड़ा साबूत (सूखा) ग्रेड-1-17 रूपए, बहेड़ा साबूत (सूखा) ग्रेड-2-15.30 रूपए, बहेड़ा कचरिया 20 रूपए तथा गिलोय (सूखा) ग्रेड-1-40 रूपए, गिलोय (सूखा) ग्रेड-2-36 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।
इसी तरह कुसुमी लाख/छिली लाख (सूखा) 300 रूपए, वन तुलसी बीज 16 रूपए, भेलवा 9.75 रूपए, शिकाकाई फल्ली (सूखा) 50 रूपए, इमली आटी (बीज सहित) ग्रेड-1-36 रूपए, इमली आटी (बीज सहित) ग्रेड-2-33 रूपए, इमली फूल (बीज रहित) 69 रूपए, इमली बीज 11 रूपए तथा महुआ फूल (सूखा) 33 रूपए, महुआ बीज 29 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। झाडू फूल (घास) 50 रूपए, कौंच बीज 21 रूपए, धवई फूल (सूखा) ग्रेड-1-37 रूपए, धवई फूल (सूखा) ग्रेड-2-33.50 रूपए, चिरौंजी गुठली ग्रेड-1-126 रूपए, चिरौंजी गुठली ग्रेड-2-115 रूपए, करंज बीज 24 रूपए, बेलगुदा (सूखा) ग्रेड-1-30 रूपए, बेलगुदा (सूखा) ग्रेड-2-27 रूपए तथा कुल्लू गोंद 125 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। काजू गुठली ग्रेड-1-90 रूपए, काजू गुठली ग्रेड-2-81 रूपए, साल बीज 20 रूपए, कुसुम बीज ग्रेड-1-23 रूपए, कुसुम बीज ग्रेड-2-20.70 रूपए, नीम बीज (सूखा) 27 रूपए, जामुन बीज (सूखा) ग्रेड-1-42 रूपए, जामुन बीज (सूखा) ग्रेड-2-38 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।
इसके अलावा संग्रहण दर आंवला फल (कच्चा) 28 रूपए, रंगीनी लाख बीहन (जीवित लाख कीट के साथ) 200 रूपए, कुसुमी लाख बीहन (जीवित लाख कीट के साथ) ग्रेड-1-275 रूपए, कुसुमी लाख बीहन (जीवित लाख कीट के साथ) ग्रेड-2-245 रूपए, झाडू कांटा (घास) 25 रूपए, बेलफल (कच्चा) 10 रूपए, जामुन फल (कच्चा) 23 रूपए, सवई घास 15 रूपए, पाताल कुम्हड़ा कंद (सूखा) 21 रूपए, सफेद मूसली कंद (सूखा) 650 रूपए, तीखुर कंद (कच्चा) 20 रूपए, अश्वगंधा जड़ (सूखा) 350 रूपए, कोरिया बीज (इन्द्र जौ) (सूखा) 150 रूपए, कुटज छाल (सूखा) 12 रूपए तथा पलाश फूल (सूखा) 11.50 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।