500 और 1000 रुपये के हटने के बाद से जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था और बैंकिंग व्यवस्था के बेहतर प्रबंधन के लिए यह जरूरी था कि मुद्रा की तरलता जल्द से जल्द सामान्य कर दी जाए.
नई दिल्ली: देश में एक बार फिर नोटबंदी के डर जैसा माहौल बन गया है. यह अलग बात है कि इस बार नोटबंदी नहीं है. आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट के चलन पर रोक लगाने के इरादे से एक समय सीमा तय कर दी है. आरबीआई ने 30 सितंबर की तारीख को तय किया है और यह भी साफ किया है कि 2000 के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे. तमाम लोगों के दिमाग में सवाल चल रहा है कि आखिर आरबीआई 2000 के नोट क्यों लाई थी और फिर अब क्यों हटा रही है. इस सवाल का जवाब संवाददाताओं से बात करते हुए आरबीआई गवर्नर ने दिया.
उन्होंने बताया कि 2016 में नोटबंदी के बाद बाजार में नोटों की कमी को पूरा करने के इरादे ऐसा कदम उठाया गया था. जल्द से जल्द प्रचुर मात्रा में मुद्रा को अर्थव्यवस्था में डालने के लिए ऐसा कदम उठाया गया था. उस समय 500 और 1000 के नोट हटाए गए थे. बाजार से नकदी गायब हो गई थी और बाजार के सुचारू संचालन के लिए यह जरूरी हो गया था.