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परम्परागत खेती से वैज्ञानिक खेती की ओर अग्रसर गांव पंडरिया (लघान)

’’सफलता की कहानी किसानों की जुबानी’’

कहते है कुछ करने का जज्बा हो तो किसान क्या से क्या नहीं कर सकते।

ऐसा ही आलम एक ग्राम पंडरिया वि.ख. कवर्धा जिला कबीरधाम छ.ग. जिला मुख्यालय से 22 कि.मी. दूरी पर है। जहाँ के कृषकों ने ऐसा कारनामा करके दिखाया है जो कि छ.ग. के कृषको को प्रेरणा श्रोत बन गया है। ग्राम के किसानो का कहना है कि वर्ष 2013-14 में कृषि विभाग कवर्धा के माध्यम से ग्राम के 33 कृषकों ने  विधि (कतार रोपाई) धान की वैज्ञानिक पद्यति से खेती के लिये प्रदर्षन डाला गया था जिसमें कृषकों को अनुदान सामाग्री रासायनिक खाद्य, सूक्ष्म तत्व, जैविक उर्वरक नीदा नाषक नामक प्रदाय किया गया था। उक्त प्रदर्षन से प्रभावित होकर ग्राम के एवं पंचायत के कृषकों ने श्रीविधि से धान की रोपाई करना प्रारंभ कर दिया तथा आज स्थिति यह है कि गांव के सभी कृषको द्वारा रोपाई कार्य ;सपदम ज्तंदेचसंदजपदहद्ध शतप्रतिषत श्रीविधि से ही किया जा रहा है।

किसानो का कहना है कि वैज्ञानिक विधि (श्रीविधि) से धान लगाने में हमे प्रति एकड़ 10-15 कि.ग्रा. बीज की एवं 10-15 मजदूर और नींदानाषक की बचत होती है तथा हमारा उत्पादन 28-32 क्विं प्रति एकड़ आता है जबकि पूर्व पद्यति से धान रोपाई में 18-20 क्विं प्रति एकड़ आता था।

हमारे द्वारा फसल की कास्त लागत कम की गई तथा पैदावार प्रति एकड़ 25-30 प्रतिषत बढ़ा जिससे हमारा आर्थिक सामाजिक पारिवारिक स्तर ऊंचा उठ रहा। कृषकों का कहना है कि इस उन्नत धान की तकनीकी का प्रचार प्रसार अन्य गांव के लोगो को भमण एवं अवलोकन कराकर किया जा रहा है।

इस वैज्ञानिक पद्धति का प्रसार के प्रेरणा श्रोत कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (ग्राम सेवक) जो समय-समय पर गांव आकर कृषको को उन्नत तकनीकी की जानकारी देते रहते है एवं कृषि विभाग के संचालित योजनाओं में कृषकों को लाभान्वित कराते रहते है। ग्राम के कृषको को शाकम्भरी योजना में विद्यृत पम्प , किसान समृद्धि में नलकूप को एवं स्प्रींकलर, कृषि यंत्र थ्रेसर, रोटावेटर, स्प्रेयर एवं, फसल बीमा आदि योजनाओं में अनुदान का लाभ दिलाकर कृषकों को लाभान्वित किया जा रहा है।



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