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बाबूगिरी के चंगुल में फंसे 25 हजार राशनकार्डधारी

रायपुर। प्रशासनिक तंत्र के जाल में फंसे आम लोग एक राशनकार्ड अपडेट कराने के लिए बदहाल और बदहवास होकर सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। बानगी देखनी हो तो आप कलेक्टोरेट परिसर स्थित खाद्य शाखा चले जाइए। वहां आपको दूरदराज के ग्रामीणों और नगरीय अंचल से महिला और पुरुषों की लंबी कतारें मिलेंगी।

कुछ इन्हीं हालातों की पड़ताल करने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इसमें कई महिलाएं अपने नौनिहालों को गोद लिए पहुंचीं थीं। इन्हीं में एक थीं हरिया ध्रुव, सड्डू। उन्होंने काम पूछने पर दुख भरी आवाज में बताया- साहब, आधार लिंकेज नहीं था। तब आई थी और कोटेदार दौड़ा रहे हैं कि नवीनीकरण कराओ तो राशन मिलेगा। क्या करें, मजदूरी करने के बाद भी गृहस्थी चलाना दुश्वार है। कुछ राशन मिलता तो थोड़ी सहूलियत हो जाती है।

कुछ यही हाल अन्य कार्डधारियों का भी था। उनकी पीड़ा थी कि पहली बार नहीं आए हैं। चार माह से सिर्फ राशनकार्ड में नाम ज़ुडवाने के लिए आ रहे हैं। इसके बावजूद सिर्फ यहां आश्वासन मिलता है कि जाओ, हो जाएगा। शिकायत करने पर बाबू और अधिकारी विभागीय सॉफ्टवेयर डाउन होने की बात करके टाल देते हैं, जबकि यहां जिले के खाद्य नियंत्रक खुद बैठते हैं, इसके बावजूद वे इसे रुटीन की समस्या मानते हैं।

अभी तक 25 हजार लोगों के राशनकार्ड अपडेट नहीं

अभी तक लगभग 25 हजार पुराने राशनकार्डों को अपडेट नहीं किया जा सका है। जबकि इसके लिए पूर्व में वार्डवार और ग्राम पंचायत स्तर पर आधार लिंकेज और नए राशनकार्ड बनवाने के लिए शिविर लगाए गए थे। आवेदन तो लिए गए, लेकिन फार्म भरने के दौरान त्रुटियों को सुधारने के प्रति खाद्य विभाग के कर्मचारियों ने कोई रूचि नहीं दिखाई।

कागजों पर ही दर्ज कर दिए भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट

हैरतवाली बात है कि पुराने कार्ड में पूर्व में परिवार के सदस्यों का भौतिक सत्यापन कराने के भी निर्देश दिए गए थे। इसके लिए खाद्य विभाग और स्थानीय नगरीय निकाय और पंचायतों के कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई गई। लेकिन शिविरों में जिन लोगों ने नाम जोड़वाए और कटवाए उन्हीं को दर्ज किया गया। इसके बाद नए राशनकार्ड जारी होने के बाद भी गलत फिडिंग के चलते लोगों के लिए गले की फांस साबित होने लगा है।

उठाव तो कर रहे, लेकिन बांटने में कोताही

राशनकार्ड में त्रुटि को लेकर बीपीएल कार्डधारियों के राशन नहीं दिया जा रहा है। लेकिन मजे की बात है कि खाद्य विभाग के अधिकारी आंख मूंदकर इन्हें राशन आवंटित भी कर रहे। इसका बकाएदा कोटेदार उठाव भी करने रहे हैं। खपाने के लिए हथकंडे भी अपना रहे हैं। शिकायत के बावजूद अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

ऑफिस में बैठकर खाद्य निरीक्षक कर रहे ड्यूटी

फील्ड में जाने के बजाय खाद्य निरीक्षक सिर्फ ऑफिस में ही बैठ कर ड्यूटी का कोरम पूरा करने में लगे रहते हैं, जबकि नियम है कि राशन दुकानों को हर रोज नियमित निरीक्षण करना और वहां के राशनकार्ड की जानकारी को हासिल करना। राशनकार्ड धारी के सामने आने वाली समस्याओं को निराकरण कराना है।

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